हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने के मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। मुख्य मंदिर आतंरिक क्षेत्र में फैला हुआ …
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक, सरयू नदी का उल्लेख हिन्दू ग्रंथों, वेद और रामायण में मिलता है। यह अयोध्या से बहती है और यहां की समस्त अशुद्धियों को नष्ट कर नया जीवन देती है। राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे है, जहां घाट और बगीचों की श्रृंखला भी है। यहां विभिन्न धार्मिक अवसरों पर भक्त पवित्र …
श्रीराम की लीला का यह अंतिम स्थल है। अखण्ड ब्रह्माण्ड के महानायक, जगत के आधार श्रीराम ने अपनी लीला सम्पन्न कर अयोध्या जी के सभी चर-अचर जीवों के साथ यहीं सरयू जी में प्रवेश कर वे अपने परम धाम को पधारे थे। वा.रा. 7/107 से 110 तक पूरे अध्याय
शरथ जी के स्वर्गवास के बाद राजकाज भरत जी के नियंत्रण में आया था। भरत जी को बालक समझ कर राजा जनक उनकी सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए कुछ काल तक अयोध्या जी में रहे थे। क्योंकि पिता का पुत्री की ससुराल में रहना नैतिक नहीं माना जाता। इसलिए राजा जनक ने कुछ भूमि अपने …
इस स्थल पर श्रीराम स्वयं नहीं गये थे। यहाँ लक्ष्मण मूर्छा के बाद संजीवनी बूटी लेने जाते समय हनुमान जी को कालनेमी राक्षस ने कपट रूप में रोकने का असफल प्रयास किया था। यहाँ हनुमान जी ने मकरी का उद्धार किया था तथा कालनेमी का वध किया था। इस स्थान को माहावीरन भी कहते हैं। …
धो पाप कुण्ड श्रीराम ने ब्रह्महत्या से छुटकारे के लिए कई स्थानों पर यज्ञ व दान किये थे। गोमती नदी के तट पर वशिष्ठ जी की आज्ञा से श्रीराम ने बड़ा यज्ञ तथा दान किया था तथा पूरे परिवार ने गोमती नदी में स्नान किया था। वा.रा. 6/128/95, मानस 7/23/1