देवांगना

यहां इन्द्रपुत्र जयंत की पत्नी ने तपस्या की थी। वनवास काल में श्रीराम के दर्शनार्थ देव कन्याएँ यहां एकत्रित हुई थीं। आज भी यहां तपस्वी साधना करते हैं।

वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा