हरी, का अपभ्रंश है दोहरी। श्रीराम तथा परशुराम जी दोनों ही विष्णु के अवतार हुए हैं। दोनों की यहाँ सरयूजी के किनारे भेंट हुई थी इसीलिए स्थल का नाम दोहरी घाट है।
वाल्मीकि जी के अनुसार परशुराम जी से भेंट के बाद, बारात अयोध्या पहुंची थी।
वा.रा. 1/74/18 से 1/76 पूरे अध्याय।