कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थें, तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया था। कहा जाता है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल में सुरक्षित रहा, जबकि बाकी शहर खंडहर में तब्दील हो चुका था। इसका अर्थ यह हुआ कि यह मंदिर अयोध्या में विक्रमादित्य द्वारा खोजा गया। शिवरात्रि पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
The temple of Nageshwarnath is said to have been established by Kush, the son of Rama. Legend has it that Kush lost his armlet, while bathing in the Saryu, which was picked up by a Nag-Kanya, who fell in love with him. As she was a devotee of Shiva, Kush erected this temple for her. It is said that this has been the only temple to have survived till the time of Vikramaditya, the rest of city had fallen into ruins and was covered by dense forests. It was by means of this temple that Vikramaditya was able to locate Ayodhya and the sites of different shrines here. The festival of Shivratri is celebrated here with great pomp.