रामेश्वर नाथ बक्सर

माना जाता है कि ताड़का वध के पश्चात् श्री राम के मन में स्त्रीवध के कारण ग्लानि थी क्योंकि उनके वंश में पहले किसी ने स्त्री का वध नहीं किया था। तब उन्होंने भगवान शिव की विशेष पूजा की थी।

यदि हम वाल्मीकि रामायण का पारायण करें तो बड़ी साफ उल्लेख मिलता है कि यक्षिणी ताटका का स्वरूप बड़ा भयंकर था लेकिन राम स्त्री होने के कारण उसका वध नहीं करना चाहते थे पर मुनि विश्वामित्र ने उन्हें समझाया कि राम संकोच मत करो, लोक उपकार के लिये इस मायाविनी दुष्टा का अंत करो । गुरु के आदेश पर श्री राम ने ताटका का वध कर दिया । लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में थोड़ी सी कचोट और ग्लानि बनी रही । इसीलिये उन्होंने अपने आराध्य भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की ।

जिस स्थल पर रामजी ने भोलेनाथ की आराधना की वह अब रामेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध मन्दिर है। यह स्थान रामरेखा घाट के पास ही है।

विश्वास किया जाता है कि स्त्री घातक व्यक्ति यहाँ प्रायश्चित स्वरूप विशेष पूजन करे तो उसे अपने पाप से मुक्ति मिल जाती है ।

वा.रा. 1/30/26 मानस 1/209/4 से 5