मिथिला में लोक परम्परा के अनुसार विवाह के चैथे दिन वेदी बना कर पुनः विवाह की परम्परा है। आज भी इसे चैथाड़ी कहा जाता है। चैथाड़ी के बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण माना जाता है। यहां चैथाड़ी की वेदी बनी थी। इसलिए गांव का नाम भी वेदी वन है।
निकटवर्ती गांवों के नाम भी इस घटना की पुष्टि करते हैं।
वा.रा. 1/69/7 मानस 1/303/3, 1/342/4 से 1/343/4 तक