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Top 5 😳 Durga Puja Pandal in Ayodhya । Ayodhya Durga Puja 2022 | Faizabad ki Durga Puja| Vlog
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अयोध्या जी में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर पर चल रहे निर्माण के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं।![]()
ग्रेनाइट स्लैब ![]()
Some pictures from construction activity at the site of Shri Ram Janmbhoomi Mandir in Ayodhya ji.![]()
Granite Slabs
अयोध्या जी में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर पर चल रहे निर्माण के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं।![]()
मंदिर निर्माण प्रगति![]()
Some pictures from construction activity at the site of Shri Ram Janmbhoomi Mandir in Ayodhya ji.![]()
Construction Activity
अयोध्या जी में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर पर चल रहे निर्माण के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं।![]()
रिटेनिंग वॉल![]()
Some pictures from construction activity at the site of Shri Ram Janmbhoomi Mandir in Ayodhya ji.![]()
Retaining Wall
अयोध्या जी में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर पर चल रहे निर्माण के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं।![]()
१. स्टोन यार्ड![]()
Some pictures from construction activity at the site of Shri Ram Janmbhoomi Mandir in Ayodhya ji.![]()
1. Stone Yard
#ayodhya
#ayodhyadhaam![]()
माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशों के क्रम में नया घाट चौराहे पर स्वर्गीय सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी की स्मृति में लता मंगेशकर चौक का निर्माण अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा कराया जा रहा है। उक्त के वास्तुकार प्रख्यात मूर्तिकार पद्म भूषण श्री राम जी सुतार है। उक्त कार्य को प्रारम्भ करने हेतु अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री विशाल सिंह जी, वित्त व लेखाधिकारी श्री मनोज कुमार सिंह जी तथा सहयोगी टीम द्वारा चिन्हांकन का कार्य प्रारम्भ किया गया। अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा रिकॉर्ड 1 माह के अंदर उक्त कार्य पूर्ण किया जायेग। उक्त चौक पर सुश्री लता मंगेशकर जी द्वारा गाये प्रभु श्री राम के भजनों को 24 घंटे चलाया जायेगा।![]()
MYogiAdityanath Government of UP Chief Minister Office Uttar Pradesh IAS Vishal Singh A K Sharma Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra , Ayodhya Chief Secretary Uttar Pradesh Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra , Ayodhya Uttar Pradesh Tourism PMO India
#AyodhyaDham
#Ayodhya ![]()
रामायण में वर्णित मुख्य स्थान ::![]()
1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।
2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।
3.कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।
4.प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था ।
5.चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।
6.सतना: चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में 'रामवन' नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक ओर आश्रम था।
7.दंडकारण्य: चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए। असल में यहीं था उनका वनवास। इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य था। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल हैं। दरअसल, उड़ीसा की महानदी के इस पास से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था। इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे। स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।
8.पंचवटी नासिक : दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।
9.सर्वतीर्थ: नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में 'सर्वतीर्थ' नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया। रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।
10.पर्णशाला: पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को 'पनशाला' या 'पनसाला' भी कहते हैं। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था। इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।
11.तुंगभद्रा: सर्वतीर्थ और पर्णशाला के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए।
12.शबरी का आश्रम : तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्मण चले सीता की खोज में। जटायु और कबंध से मिलने के पश्चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है। शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा। 'पम्पा' तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है। पौराणिक ग्रंथ 'रामायण' में हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के तौर पर किया गया है। केरल का प्रसिद्ध 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है।
13.ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया। ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। पास की पहाड़ी को 'मतंग पर्वत' माना जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो हनुमानजी के गुरु थे।
14.कोडीकरई : हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने वानर सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े। तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्तारित है। कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्क स्ट्रेट से घिरा हुआ है। यहां श्रीराम की सेना ने पड़ाव डाला और श्रीराम ने अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित कर विचार विमर्ष किया। लेकिन राम की सेना ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता और यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया।
15..रामेश्वरम: रामेश्वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है। रामेश्वरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है। महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।
16.धनुषकोडी : वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो। उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया। धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है। धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्नार से करीब 18 मील पश्चिम में है।
इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है।
17.'नुवारा एलिया' पर्वत श्रृंखला :
वाल्मीकिय-रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। 'नुवारा एलिया' पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है।
श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए है।
#Ayodhya ![]()
नैमिषारण्य तीर्थ के लिए लखनऊ से सीतापुर तक जल्द शुरू होगी इलेक्ट्रिक बस और हेलिकॉप्टर सेवा![]()
नैमिषारण्य को वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सीएम योगी ने अधिकारियों को योजना बनाकर कार्य करने के दिए निर्देश![]()
लखनऊ।काशी, अयोध्या और मथुरा के तर्ज पर अब नैमिष धाम भी संवरेगा। नैमिषारण्य को वैदिक शहर, आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। नैमिषारण्य तीर्थ तक पहुंचने के लिए जल्द लखनऊ से सीतापुर तक इलेक्ट्रिक बस और हेलिकॉप्टर सेवा भी शुरू की जाएगी। इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
सीएम योगी के निर्देश पर नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र के विकास के लिए चार चरणों में कार्य योजना बनाई गई है। इसके अनुसार प्रमुख परियोजनाओं में पहले फेज में चक्र तीर्थ, मां ललिता देवी मंदिर, दधिचि कुंड और सीता कुंड का विकास किया जाएगा। दूसरे फेज में दधिचि कुंड, रुद्रावर्त महादेव, देवदेश्वर मंदिर और काशी कुंड का विकास किया जाएगा। इसके अलावा शहरी और क्षेत्रीय विकास के लिए अलग से कार्य योजना तैयार की गई है।सीएम योगी ने नैमिषारण्य के सभी कुंडों में स्वच्छ जल की उपलब्धता, चक्रतीर्थ के जीर्णोद्धार, दधीचि कुंड और मां ललिता देवी मंदिर के सुंदरीकरण कराने के निर्देश दिए हैं। मिश्रिख नगर पालिका के सीमा विस्तार भी किया जाएगा। इसके अलावा नैमिषधाम के 05, 14 और 84 कोसी परिक्रमा पथ का विकास भी किया जाएगा। सीएम योगी ने पर्यटन विकास और सुंदरीकरण के कार्यों के लिए आवश्यकतानुसार भूमि अधिग्रहण करने और सुविधाजनक यात्री निवास, प्रकाश व्यवस्था, पार्किंग सुविधा और सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम रखने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश पर नैमिषधाम में पर्यटन विकास के लिए पर्यटन, नगर विकास, पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग मिलकर ठोस कार्य योजना तैयार करेंगे। पर्यटन विभाग द्वारा नैमिषधाम के लिए सुविधाजनक पर्यटन पैकेज तैयार किया जाएगा।नैमिषारण्य तीर्थ सनातन धर्म के करोड़ों लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है और 88,000 ऋषियों की तपोस्थली नैमिषारण्य के समग्र विकास के लिए सरकार संकल्पित है। यहां मां ललिता देवी मंदिर, चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी, सूत गद्दी, हनुमान गढ़ी सहित कई पौराणिक और आध्यात्मिक दर्शनीय स्थल हैं। यहां मास की हर पूर्णिमा, अमावस्या, नवरात्र और फाल्गुन की चौरासी कोसी परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु आते हैं।
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MYogiAdityanath Ayodhyadhaam
जय श्री राम 🙏 भगवा मेरी जान भगवा मेरी शान 🙏
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श्री राम मंदिर निर्माण अयोध्या | Ayodhya Ram Mandir Nirman | Temple Construction Update | Indian SRJ
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श्री राम मंदिर निर्माण अयोध्या | Ayodhya Ram Mandir Nirman | Temple Construction Update | Indian SRJAt present, the construction work of a grand tem...