प्राचीन परम्परा से अयोध्याजी से पूर्व दिशा में एक कच्चे मार्ग को राम जानकी मार्ग कहा जाता रहा है। अब यह पक्की सड़क बन गयी है तथा इसका नाम श्रीराम जानकी मार्ग ही है। लोकमान्यता के अनुसार बारात के साथ श्री सीताराम जी का रथ इसी मार्ग से आया था। वा.रा. 1/77/06 मानस 1/342 से …
मिथिला में लोक परम्परा के अनुसार विवाह के चैथे दिन वेदी बना कर पुनः विवाह की परम्परा है। आज भी इसे चैथाड़ी कहा जाता है। चैथाड़ी के बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण माना जाता है। यहां चैथाड़ी की वेदी बनी थी। इसलिए गांव का नाम भी वेदी वन है। निकटवर्ती गांवों के नाम भी इस …
यह स्थान पूर्वी चम्पारन में मोतिहारी से लगभग 20 कि.मी. पूर्व दक्षिण कोण में है। माना जाता है कि श्रीराम की बारात ने यहाँ रात्रि विश्राम किया था। यहाँ कुण्ड में सीता माँ का कंगन खुला था। इस कुण्ड में पानी नीचे से ही आता है तथा कभी सूखता नहीं। पास ही भूमि में एक …
जनकपुर से प्रस्थान कर श्री राम की बारात ने प्रथम रात्रि विश्राम पंथ पाकड़ में किया था। माना जाता है कि माँ सीता ने दातुन करके जो फेंक दी थी उसी से इस पाकड़ का जन्म हुआ है। यहाँ से बारात सीता मढ़ी होती हुई सीता कुण्ड पहुची थी सीता मढ़ी का विवरण इस प्रकार …
बिहार के मधुबनी जिले के फुलहर गांव में ऐतिहासिक तालाब है जिसके चारों तरफ प्राचीन काल में उपवन था। मिथिला नरेश जनक के महल के नजदीक अवस्थित इस उपवन में तरह तरह के फूल और फल वृक्ष थे। श्री रामचरित मानस के अनुसार यहां माँ सुनयना ने सीता मां को गिरिजा पूजन के लिए भेजा …