विश्वामित्र जी का आश्रम तपोवन में था। इसे सिद्धाश्रम भी कहते हैं। किन्तु अब कोई स्थान विशेष आश्रम के नाम पर चिन्हित नहीं है। पूरा क्षेत्र ही तपोवन तथा सिद्धाश्रम माना जाता है।
श्रीराम ने अपने जीवन का प्रथम युद्ध यहाँ किया था। यहीं से उनके वीर चरित्र का उद्भव माना जाता है। इसे ताड़का वन भी कहा जाता है। रामायण के अनुसार ताड़का डेढ़ योजन का मार्ग घेर कर रहती थी। यहीं श्रीराम ने ताड़का को मारा था। यह स्थान बक्सर में ही है।
माना जाता है कि वामनावतार लेने से पूर्व भगवान विष्णु जी ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी। यहां भगवान विष्णु द्वारा स्थापित वामनेश्वर शिवलिंग श्रद्धा स्थल है। विश्वामित्र जी ने श्रीराम को इसके दर्शन करवाये थे।
बक्सर में गंगाजी के किनारे रामरेखा घाट अत्यंत प्रसिद्ध स्थल है। माना जाता है कि ताड़का वध के पश्चात् श्रीराम ने यहाँ स्नान किया था। इस स्थान को श्रीराम का दो बार सान्निध्य प्राप्त हुआ है। श्रीराम सिंहासन आरूढ़ होने के पश्चात् यहाँ यज्ञ करने आये थे तब उन्होंने तीर की नोक से यहाँ यज्ञ …
माना जाता है कि ताड़का वध के पश्चात् श्री राम के मन में स्त्रीवध के कारण ग्लानि थी क्योंकि उनके वंश में पहले किसी ने स्त्री का वध नहीं किया था। तब उन्होंने भगवान शिव की विशेष पूजा की थी। यदि हम वाल्मीकि रामायण का पारायण करें तो बड़ी साफ उल्लेख मिलता है कि यक्षिणी …