सीतामढ़ी कनवाई जनकपुर से 50 कि.मी. दूर बरनी नदी के किनारे श्री सीता राम जी ने एक रात्रि यहाँ विश्राम किया था। यहीं देवांगनाएं उनके दर्शनार्थ आयीं थीं। यहाँ तीनों की पूजा होती है। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ …
शहडोल जिले में जयसिंह नगर से 15 कि.मी. दूर गंधिया नामक ग्राम के पास श्री सीता राम जी एक रात यहँा रुके थे व भोजन किया था। यहां रसोई बनी है। इसे सीतामढ़ी के रूप में जाना जाता है । श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि …
विजोरी मानपुर से 14 कि.मी. दूर जंगल में सोनभद्र तथा जुहिला नदियों का पवित्र संगम है। यहाँ श्रीराम ने दशरथ जी का श्राद्ध किया था। वनवासी अब भी श्राद्ध करने यहाँ आते हैं। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ …
ताला बांधगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में एक पहाड़ी पर श्रीराम का प्राचीन मन्दिर स्थित है। यहाँ लक्ष्मण शैया, भगवान वराह, कच्छपावतार, मत्स्यावतार, हनुमान जी आदि के अनेक मन्दिर हैं। श्रीराम दण्डकारण्य भ्रमण करते हुए यहाँ आये थे। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) …
नवास क्रम में सोनभद्र तथा महानदी के पवित्र संगम पर श्रीराम ने दशरथ जी का श्राद्ध किया था। अब भी सोनभद्र के किनारे प्राचीन बस्ती के अवशेष नदी में मिलते हैं। यहाँ मारकण्डेय ऋषि का आश्रम हुआ करता था जो जल डूब के क्षेत्र में आ गया है । प्राचीन आश्रम की स्मृति में नया …