अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह अयोध्या जिला के अन्तर्गत आता है। यह पवित्र सरयू नदी के दाएं तट पर बसा है। इसे ‘कौशल देश’ भी कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। यह सप्त पुरियों में से एक है-
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः ॥
(अर्थ : अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काञ्चीपुरम, उज्जैन, और द्वारका – ये सात मोक्षदायी हैं।)
वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है,
“अष्टचक्रा नव द्वारा देवानां पूरयोध्या।
तस्यां हिरण्मय: कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः।।”
श्रीमद्वाल्मीकियरामायणे बालकाण्डे पञ्चमः सर्गः
कोसलो नाम मुदितः स्फीतो जनपदो महान् । निविष्ट सरयू तीरे प्रभूत धन धान्यवान् ॥
अयोध्या नाम नगरी तत्रासीत् लोक विश्रुता । मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम् ॥
और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग १४४ कि.मी) लम्बाई और तीन योजन (लगभग ३६ कि.मी.) चौड़ाई में बसी थी। कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम एवं जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।
इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दाशरथी रामचन्द्र अवतार के रूप में पूजे जाते हैं। पहले यह कोसल जनपद की राजधानी था। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था। यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे।