आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला / Lakshman Fort

महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली यह स्थान देश भर में रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। श्री स्वामी जी चिरान्द (छपरा) निवासी स्वामी श्री युगलप्रिया शरण ‘जीवाराम’ जी महाराज के शिष्य थे। ईस्वी सन् १८१८ में ईशराम पुर (नालन्दा) में जन्मे स्वामी युगलानन्यशरण जी का रामानन्दीय वैष्णव-समाज में विशिष्ट स्थान है।

आपने उच्चतर साधनात्मक जीवन जीने के साथ ही आपने ‘रघुवर गुण दर्पण’,’पारस-भाग’,’श्री सीतारामनामप्रताप-प्रकाश’ तथा ‘इश्क-कान्ति’ आदि लगभग सौ ग्रन्थों की रचना की है। श्री लक्ष्मण किला आपकी तपस्या से अभिभूत रीवां राज्य (म.प्र.) द्वारा निर्मित कराया गया। ५२ बीघे में विस्तृत आश्रम की भूमि आपको ब्रिटिश काल में शासन से दान-स्वरूप मिली थी। श्री सरयू के तट पर स्थित यह आश्रम श्री सीताराम जी आराधना के साथ संत-गो-ब्राह्मण सेवा संचालित करता है। श्री राम नवमी, सावन झूला, तथा श्रीराम विवाह महोत्सव यहाँ बड़ी भव्यता के साथ मनाये जाते हैं। यह स्थान तीर्थ-यात्रियों के ठहरने का उत्तम विकल्प है। सरयू की धार से सटा होने के कारण यहाँ सूर्यास्त दर्शन आकर्षण का केंद्र होता है।