भारतवर्ष में श्रीराम / ShriRam in Bharatvarsh

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श्रीराम जहां भी रात्रि विश्राम करते थे वहां शिव पूजन अवश्य होता था। बगीचा से रामरेखा धाम जाते समय श्रीराम
यहाँ श्रीराम शृंगी ऋषि आश्रम में आये थे। सिहावा में एक प्राचीन मंदिर है। यहीं एक छोटे से कुण्ड से
रामारम चिटमिट्टीन में श्रीराम ने भू देवी (धरती माँ) की पूजा की थी। पास ही एक पहाड़ी पर श्रीराम के
वाल्मीकि आश्रम लालापुर गाँव के पास एक पहाड़ की कठिन चढ़ाई के बाद चोटी पर महर्षि वाल्मीकि का एक प्राचीन
रामायण वर्णन के अनुसार तीनों ने गंगा पार कर एक रात्रि विशाला नगरी में विश्राम किया था। रामजी को विश्वामित्र
प्राचीन परम्परा से अयोध्याजी से पूर्व दिशा में एक कच्चे मार्ग को राम जानकी मार्ग कहा जाता रहा है। अब
फिंगेश्वर मार्ग पर प्राचीन माण्डव्य आश्रम में श्रीराम ऋषि दर्शन के लिए आये थे।
सीतामढ़ी रापा एक सीधी पंक्ति में यह तीसरी सीतामढ़ी है। जनकपुर से 16 कि.मी. दूर पूर्व दिशा में रापा नदी
श्री राम मंदिर बासर माना जाता है कि इसी स्थान पर माँ सरस्वती की कृपा से राजा दशरथ जी ने
रायगढ़ से 21 कि.मी. दूर भूपदेवपुर स्टेशन के पास जंगल में राम झरना है। तीनों ने यहाँ स्नान किया था।