ये है अयोध्याजी से कुछ दूरी पर तमसा नदी के तट पर अवस्थित गौरा घाट । यहाँ श्रीराम जी ने वनवास की प्रथम रात्रि विश्राम किया था। तमसा का वर्तमान नाम मंडाह एवं मढ़ार है । ये स्थल गौरा घाट के नाम से प्रसिद्ध है। गौरा शब्द गौरव का अपभ्रंश है। यह स्थान अयोध्याजी से लगभग 20 कि.मी. है।
ग्र्ंथ उल्लेख
वा.रा. 2/46/1से 17 तक तथा 28, मानस 2/84 दोहा से 2/84/1,2,3 तथा 2/85 दोहा।
आगे का मार्ग
तमसा तट से पुरवा चकियाः- तमसा तट से करीब 2 कि.मी. दक्षिण पूर्व में पुरवा चकिया नामक गांव में है।