श्रीराम की लीला का यह अंतिम स्थल है। अखण्ड ब्रह्माण्ड के महानायक, जगत के आधार श्रीराम ने अपनी लीला सम्पन्न कर अयोध्या जी के सभी चर-अचर जीवों के साथ यहीं सरयू जी में प्रवेश कर वे अपने परम धाम को पधारे थे। वा.रा. 7/107 से 110 तक पूरे अध्याय
Month: February 2020
शरथ जी के स्वर्गवास के बाद राजकाज भरत जी के नियंत्रण में आया था। भरत जी को बालक समझ कर राजा जनक उनकी सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए कुछ काल तक अयोध्या जी में रहे थे। क्योंकि पिता का पुत्री की ससुराल में रहना नैतिक नहीं माना जाता। इसलिए राजा जनक ने कुछ भूमि अपने …
इस स्थल पर श्रीराम स्वयं नहीं गये थे। यहाँ लक्ष्मण मूर्छा के बाद संजीवनी बूटी लेने जाते समय हनुमान जी को कालनेमी राक्षस ने कपट रूप में रोकने का असफल प्रयास किया था। यहाँ हनुमान जी ने मकरी का उद्धार किया था तथा कालनेमी का वध किया था। इस स्थान को माहावीरन भी कहते हैं। …
धो पाप कुण्ड श्रीराम ने ब्रह्महत्या से छुटकारे के लिए कई स्थानों पर यज्ञ व दान किये थे। गोमती नदी के तट पर वशिष्ठ जी की आज्ञा से श्रीराम ने बड़ा यज्ञ तथा दान किया था तथा पूरे परिवार ने गोमती नदी में स्नान किया था। वा.रा. 6/128/95, मानस 7/23/1
रावण वध के कारण श्रीराम व सीता जी पर ब्रह्महत्या का पाप लगा हुआ था। श्रीराम ने सीता जी के ब्रह्महत्या से छुटकारे के लिए यहाँ एक बड़ा यज्ञ किया था तथा ब्राह्मणों को अमित दान दिया था। वा.रा. 6/128/95, मानस 7/23/1