त्रिपुल्लाणी समुद्र तट पर पहुँच कर श्रीराम समुद्र से रास्ता लेने के लिए तीन दिन तक तपस्यारत पृथ्वी पर लेटे रहे। यहीं श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसे आदि रामेश्वर माना जाता है। यहीं समुद्र ने प्रकट होकर श्रीराम को पुल बनाने की युक्ति बतायी थी।