दावरी के उद्गम स्थल गोमुख से कुछ आगे चलकर माँ गोदावरी पुनः लुप्त हो गयी थी। लोकमान्यता के अनुसार यहाँ श्रीराम ने बाण द्वारा पुनः माँ गोदावरी को प्रकट किया था। जिस स्थान पर बाण चलाया गया वहाँ अब ये जल एक कुण्ड के रूप विराजमान है ।
वा.रा. 3/16/2, 3 मानस 3/13/1 से 3/16/1 तक