वनवास काल में चित्रकूट में श्री सीताराम जी अनेक स्थलों पर लीला करते थे तथा प्रकृति का आनन्द लेते हुए निकटवर्ती क्षेत्रों में विहार करते थे। इसी क्रम में कभी-कभी यहां रात्रि विश्राम करते थे। आज भी शिला पर श्री सीता राम जी के विश्राम के चिन्ह हैं। दोनों के बीच धनुष रखने का चिन्ह बना है।
वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा।