वाल्मीकि रामायण के अनुसार जनकपुर पहुंच कर मुनि विश्वामित्र, रामजी और भैया लखनलाल ने जनकजी के उपवन में डेरा डाला था। जिस स्थान पर वे रुके वहाँ आज भी विश्वामित्र मुनि का आश्रम है। विश्वामित्र का ही अपभ्रंश बिसोल है।
वा.रा. 1/50/4 से 25 मानस 1/213/2, 3, 4, 1/214 दोहा से 1/216/4
विश्वामित्र आश्रम से गिरजा मंदिर- बाग तड़ागः- विश्वामित्र चैक – फुलहर – बिशौल राष्ट्रीय राजमार्ग- 104,13 कि.मी.।
क्रम सं. 25 गिरिजा मंदिर तथा क्रम सं. 26 बाग तड़ाग में बहुत अंतर नहीं है। अतः यात्री कहीं से भी आगे की यात्रा आरम्भ कर सकते हैं।