श्री राम जन्म भूमि अयोध्या
आप दर्शन कर रहे हैं टाट में विराजमान राम लला जन्मभूमि पावन तीर्थ के । अब यहां भव्य रामभूमि निर्माण की तैयारियां चल रही हैं । माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार अब यहाँ भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा ।
बड़े हर्ष का विषय है कि राम लला की जन्मभूमि को लेकर चल रहा विवाद समाप्त हो गया है । भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने अनेक वर्षों तक चली सुनवाई के बाद अंततः इस स्थान को राम लला की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किये जाने का आदेश दिया ।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट का गठन कर दिया है। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य शामिल होंगे।
के. परासरण: ये सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। परासरण अयोध्या मामले में नौ सालों तक हिंदू पक्ष की पैरवी की थी। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में अटॉर्नी जनरल रहे। पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके हैं।
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज (प्रयागराज): यह बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं। हालांकि, इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रह चुका है। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में केस दाखिल किया था।
जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज: यह कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। इन्होंने दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद पदवी संभाली।
युगपुरुष परमानंद जी महाराज: यह अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख हैं। वेदांत पर इनकी 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।
स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज: इनका महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्म हुआ। यह रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं। स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।
विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा: यह अयोध्या राजपरिवार के वंशज हैं। रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी के रूप में कार्य करते हैं। 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली। इसके बाद इन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।
डॉ. अनिल मिश्र, होम्पयोपैथिक डॉक्टर: यह मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी हैं जो अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं। मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान में संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।
श्री कामेश्वर चौपाल, पटना ( एससी सदस्य ) : संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्हें दलित होने के नाते यह मौका दिया गया है। 1991 में इन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था।
महंत दिनेंद्र दास: यह अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख हैं। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।
ट्रस्ट में केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि भी होगा, जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे का नहीं होगा। यह एक पदेन सदस्य भी होगा।
राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। साथ ही यह एक पदेन सदस्य भी होगा।
अयोध्या जिले के कलेक्टर पदेन ट्रस्टी होंगे। वे हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे। राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा। उनका हिंदू होना अनिवार्य है।
ये हैं नियम: जो ट्रस्टी हैं उनकी ओर से (सीरियल नंबर दो से आठ तक के) 15 दिन में सहमति मिल जानी चाहिए। ट्रस्टी नंबर एक इस दौरान ट्रस्ट स्थापित कर अपनी सहमति दे चुका होगा। उसे सीरियल नंबर दो से सीरियल नंबर आठ तक के सदस्यों की तरफ से ट्रस्ट बनने के 15 दिन के अंदर सहमति ले लेनी होगी।
हम सभी जानते हैं कि श्रीराम सहित चारों भाइयों की जन्म भूमि अयोध्या त्रेता युग में राजा दशरथ की राजधानी थी। यहीं से मुनि विश्वामित्र श्रीराम व लक्ष्मण जी को यज्ञ रक्षा के लिए अपने साथ लेकर चले थे।
यहाँ दिखाया जा रहा चित्र 1992 के बाद अस्थायी टेंट रूपी ढांचें में विराजमान राम लला का है । हम संकल्प लें कि भव्य मंदिर निर्माण के लिये हम तन मन धन से सहयोग करेंगे ।
ग्रंथों में उल्लेख
वाल्मीकि रामायण 1/5, 6, पूरे अध्याय तथा अन्य अनेक विवरण हैं। श्रीरामचरितमानस 1/15/1,1/34/2, 3, 1/189/1 से 1/207/4, 2/0/1 से 2/187/1 तक तथा अन्य अनेक विवरण है।
1 श्री राम जन्म भूमिः अयोध्याजी- यह यात्रा का प्रथम स्थल है। यहां जाने के लिए रेल तथा बस दोनों साधन हैं। वायुमार्ग से निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ, इलाहाबाद है। लेकिन स्थलों की दृष्टि से अयोध्याजी को केन्द्र बनाकर प्रथम यात्रा के क्रम सं.1, सरयूजी तथा क्रम सं. 2 यज्ञ स्थल आते हैं। द्वितीय यात्रा के क्रम सं.1 अयोध्याजी, श्रीराम जन्मभूमि, क्रम सं. 2 मणिपर्वत, 234 भादर्शा, 235 राम कुण्ड, 236 हनुमान भरत मिलन मंदिर, 237 भरतकुण्ड़, 238 जटा कुण्ड, 239 दशरथ समाधि, 240 विभीषण कुण्ड, 241 शत्रुघ्न कुण्ड, 242 राम कुण्ड, 243 सुग्रीव कुण्ड, 244 हनुमान कुण्ड, 245 सीता कुण्ड, 248 जनकौरा तथा 249 गुप्तार घाट आते हैं। इसमें क्रम सं. 2 यज्ञ स्थल, बस्ती जिले में है तथा शेष सभी फैजाबाद जिले में हैं।
यात्रा क्रम की दृष्टि से यात्री को स्थानीय सूत्रों से सम्पर्क कर अपनी सुविधा से यात्रा क्रम निश्चित करना चाहिये। हमारे अनुसारः सर्वप्रथम-सरयूजी में स्नान-श्रीराम मंदिर निर्माण की कार्यशाला – अयोध्या शोध संस्थान-हनुमान गढ़ी-बड़ा स्थान-श्रीराम जन्मभूमि-कनक भवन तथा यथासाध्य अन्य मंदिरों के दर्शन करें। ये सभी तीर्थ अयोध्याजी नगर में आते हैं।
तत्पश्चात् क्रम सं. 2 मखौड़ा-239 दशरथ समाधि-236 हनुमान भरत मिलन मंदिर, 237 भरत कुण्ड, 238 जटाकुण्ड, 248 जनकौरा तथा 249 गुप्तार घाट के दर्शन करें। तत्पश्चात 235 रामकुण्ड, 245 सीताकुण्ड, 240 विभीषण कुण्ड, 241 शत्रुघ्न कुण्ड, 242 रामकुण्ड, 243 सुग्रीव कुण्ड, 244 हनुमान कुण्ड आदि के दर्शन करें। इस प्रकार अयोध्या जी के निकटवर्ती सभी तीर्थों के दर्शन हो सकते हैं।