स्वभावस्त्वियं काशी सुखविश्रामभूर्मम। ये काश्यां नाम गृहन्ति येऽनुमोदन्त एव हि ।। शंङ्कर पार्वती जी से कहते है कि हे देवी! स्वभावतः यह काशी मेरी सुख एवं विश्राम की भूमि है। जो काशी में नाम ग्रहण करते हैं तथा अनुमोदन करते है, वे मनुष्य धन्य है। भगवान शंङ्कर के प्राणियों के प्रति दया से युक्त वचन …