लोक मान्यता के अनुसार राजा जनक ने चारों दामादों, बेटियों तथा समधी जी राजा दशरथ जी को दहेज में असीम धन, रत्नादि दिये थे। आज की ही भाँति तब भी दहेज दिखाया जाता था। यहां दहेज अवलोकनार्थ रखा गया था। तब यह सागर रत्नों से भर गया था इसलिए आज भी इसे रत्न सागर कहा जाता …
त्रेता युग में मिथिला नरेश सीरध्वज जनक के दरबार में रामजी द्वारा धनुर्भंग के बाद अयोध्याजी से बारात आई। श्री राम सहित चारों भाईयों का विवाह हुआ। जिस स्थान पर जनकपुर में मणियों से सुसज्जित वेदी और यज्ञ मंडप निर्मित हुआ वह समकाल में रानी बाजार के निकट है । यह स्थल मणि मण्डप के …
धनुषा नेपाल का प्रमुख जिला है । धनुषा नाम ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल ये भारतीय संस्कृति के उस संधिकाल का प्रतीक है जब विष्णु के एक अवतार परशुराम और उनके बाद के अवतार श्री राम का परस्पर मिलन हुआ था । धनुषा धाम में आज भी पिनाक धनुष के अवशेष पत्थर के …
जानकी मंदिर के पास एक विशाल मैदान है। लोक मान्यता के अनुसार इसी मैदान में देश विदेश के बलशाली राजाओं के बीच शंकर जी का पिनाक धनुष तोड़कर श्रीराम ने सीता जी से विवाह की शर्त पूर्ण की थी। श्री रामचरित मानस में भी इसे रंगभूमि कहा है। ये नेपाल का अत्यंत प्रसिद्ध मैदान है …
आप इस क्षण जगत जननी जानकी की जन्मभूमि जनकपुर धाम में अवस्थित जानकी मंदिर के दर्शन कर रहे हैं । त्रेतायुग में माता जानकी की बाल्यावस्था यहीं बीती । ये मंदिर टीकमगढ़ की राजमाता वृषभानु लली ने आज से सैकड़ों वर्ष पहले बनवाया । माता की अपार कृपा उन पर बरसती थी । उस समय …