इस स्थल पर श्रीराम स्वयं नहीं गये थे। यहाँ लक्ष्मण मूर्छा के बाद संजीवनी बूटी लेने जाते समय हनुमान जी को कालनेमी राक्षस ने कपट रूप में रोकने का असफल प्रयास किया था। यहाँ हनुमान जी ने मकरी का उद्धार किया था तथा कालनेमी का वध किया था। इस स्थान को माहावीरन भी कहते हैं। …