श्रीराम सीतान्वेषण करते हुए मुंबई में समुद्र तट तक आये थे। यहाँ उन्होंने बालू के शिवलिंग की स्थापना की थी तथा बाण से मीठे जल का स्रोत बनाया। वहीं आज बालुकेश्वर मंदिर है तथा मीठे जल का स्रोत अजस्र प्रवाहित हो रहा है। इसे बाण गंगा कहते हैं। वा.रा. 1/69/1 से 9 तक मानस 3/32/2