लंका पर चढ़ाई करते समय श्रीराम ने गावी दैत्य का वध किया था। फिर उन्होंने शिव पूजा की तथा राजा दशरथजी का श्राद्ध किया था। सत्यगाला से 3 कि.मी. दूर प्र्रेत पर्वत पर भगवान शिव मंदिर पर आज भी स्थानीय लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने आते हैं।
वानर सेना ने मेलुकोटे नामक स्थान पर जलपान किया था। नगर से 3 कि.मी. दूर जंगल में एक पहाड़ी पर श्रीराम के बाण द्वारा बनाया गया जल स्रोत आज भी है।
कन्नड शब्द बाण होरा का अर्थ है बाण नहीं उठा सकता। लक्ष्मणजी ने श्रीराम के धनुष बाण ले कर चलने से मना कर दिया था। यहां भगवान शिव ने स्थानीय प्रभाव बता कर दोनों को शांत किया था।
एक लोक कथा के अनुसार स्थानीय प्रभाव से यहाँ लक्ष्मणजी का मन राम भक्ति से हट गया था। राम देवर गुड्डा (राम देव पहाड़ी) के निकट जंगल में भगवान शिव का मंदिर है।
रामेश्वर से लंका जाते समय श्रीराम आये थे। यहाँ उन्होंने दशरथजी का श्राद्ध किया था।