चित्रकूट भयंकर जंगल में प्रकृति की अनुपम देन है गुप्त गोदावरी, सीता माँ यहाँ स्नान करती थीं। यहीं मयंक नामक चोर ने उनके वस्त्राभूषण चुराये थे तथा लक्ष्मणजी ने उसे सजा दी थी। मानस 2/248/3 2/307/2
चित्रकूट कामदगिरि से लगभग 4-5 कि.मी. दूर गहरे जंगल में मंदाकिनी की धारा में एक विशाल सफेद शिला है। यहीं इन्द्र पुत्र जयंत ने कौवे के रूप में सीता माँ पर चंचु प्रहार किया था। मानस 3/0/2 से 3/2 दोहा तक।वा.रा. 5/38/12 से 35 तक।
भरतजी श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए सभी तीर्थों का जल लाये थे। वह पवित्र जल अत्रि मुनि के परामर्श से भरतकूप में स्थापित किया था। भरतकूप कर्वी से 18 कि.मी. है। मानस 2/307/2, 4 2/309 दोहा से 2/310 दोहा तक, मानस 2/311/1, 2, 3, 2/312 दोहा।
यह चित्रकूट का बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है। पास ही यज्ञवेदी मंदिर है। कुछ विद्वानों का मत है कि, यही वह स्थान विशेष है जहां वनवास काल में श्री सीता राम जी रहते थे। यह भी विश्वास किया जाता है, हनुमान जी की कृपा से गोस्वामी तुलसीदास जी को यहां श्री राम लक्ष्मण जी के …
यहां इन्द्रपुत्र जयंत की पत्नी ने तपस्या की थी। वनवास काल में श्रीराम के दर्शनार्थ देव कन्याएँ यहां एकत्रित हुई थीं। आज भी यहां तपस्वी साधना करते हैं। वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा