चित्रकूट साधकों की तप स्थली है। यहां कोटि मुनि तपस्यारत थे। वनवास काल में श्रीराम उनके दर्शनार्थ यहां आये थे। आज भी यहां अनेक संत तपस्यारत हैं। वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा।
वनवास काल में चित्रकूट में श्री सीताराम जी अनेक स्थलों पर लीला करते थे तथा प्रकृति का आनन्द लेते हुए निकटवर्ती क्षेत्रों में विहार करते थे। इसी क्रम में कभी-कभी यहां रात्रि विश्राम करते थे। आज भी शिला पर श्री सीता राम जी के विश्राम के चिन्ह हैं। दोनों के बीच धनुष रखने का चिन्ह …
भक्त कामदगिरि को श्रीराम का प्रत्यक्ष शरीर मानते हैं। श्रीराम यहाँ बहुत दिनों तक रहे थे। हजारांे श्रद्धालु नित्यप्रति इसकी परिक्रमा करते हैं। कुछ तो लेट कर परिक्रमा करते हैं। चित्रकूट में श्रीराम वनवास से संबंधित बहुत से स्थल आज भी पाये जाते हैं। जैसे श्रीराम-भरत मिलन मंदिर, रामघाट, सीता रसोई, रामशैया, मंदाकिनी नदी आदि। …
मानस के अनुसार भरत जी को कामदगिरि के दर्शन दो कोस पहले हुए थे। केवल खोह गाँव ही है जहाँ से दो कोस दूर से कामदगिरि के दर्शन होते हैं। श्रीराम का अनुगमन करते हुए भरत जी यहीं से गये थे। मानस 2/224/3, 4 2/236/1, 2, 3 नोट चित्रकूट दर्शन-रामघाट-कामदगिरि -रामशैया-भरतकूप-माण्डव्य आश्रम- गुप्तगोदावरी-अनुसूया-टाठीघाट- फटिकशिला-जानकीकुण्ड-चित्रकूट -हनुमानधारा-देवांगना-कोटितीर्थ-मार्कण्डेय …
वाल्मीकि आश्रम लालापुर गाँव के पास एक पहाड़ की कठिन चढ़ाई के बाद चोटी पर महर्षि वाल्मीकि का एक प्राचीन आश्रम है। यहाँ श्रीराम की मुनि से भेंट हुई थी। लालापुर गाँव के पास वाल्मीकि नामक नदी भी प्रवाहित होती है। वा.रा. 2/56/16, 17, 18, मानस 2/123/3 से 2/132 दोहा। वाल्मीकि आश्रम से चित्रकूट दर्शनः- …