प्रयागराज-चित्रकूट

प्रयागराज

  • प्रयागराज को प्राचीन धर्मग्रंथों में प्रयाग, प्रयागराज और तीर्थराज के नाम से निरूपित किया गया है। इसे भारत में तीर्थों में सर्वाधिक पवित्र और पुण्यदायिनी माना गया है।
  • यह वह स्थान है जहां संगम पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी मिलती हैं। प्रत्येक छह साल में पड़ने वाले कुंभ और बारह साल में पड़ने वाले महाकुंभ में सबसे ज़्यादा तीर्थयात्री यहां उमड़ते हैं।
  • यह सिर्फ प्रमुख तीर्थस्थल ही नहीं बल्कि साहित्य, शिक्षा, इतिहास और संस्कृति का भी प्रमुख केंद्र है। आधुनिक भारत के निर्माण में भी इस शहर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • गंगा के किनारे अकबर का किला और ऑल सैंट कैथेड्रल इस शहर के दो नायाब स्मारक हैं। यहां साल भर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
  • यह शहर भारत की आज़ादी के संघर्ष के कई महत्वपूर्ण पड़ावों का भी गवाह है। इनमे प्रमुख है, 1885 में इंडियन नेशनल कांग्रेस का उदय और 1920 में महात्मा गांधी का अहिंसा आंदोलन।

चित्रकूट

  • हिन्दू पौराणिक गाथाओं में इसका अलग स्थान है। महाकाव्य रामायण से भी इसका नजदीकी संबंध है। अपने प्राकृतिक सौंदर्य और देवभूमि होने से इसे नृत्य नाटकों में भी स्थान मिला है।
  • माना जाता है कि यहीं पर भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण समेत वनवास के 14 साल बिताए थें। यहीँ पर संत अत्रि और सती अनुसुइया ने भी तपस्या की थी।
  • मंदाकिनी नदी के किनारे बसा यह शहर यूपी और एमपी तक फैला हुआ है। यह शहर मंदाकिनी नदी के तट पर बसा हुआ है, जिसे पयस्विनी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
  • नदी किनारे घाटों की कतारें और शहर में मंदिरों की अच्छी संख्या है।
  • हनुमान धारा, कामद गिरि, स्फटिक शिला और राम घाट भी दर्शनीय स्थलों में शुमार होते हैं।