रामायण के अनुसार विश्वामित्र मुनि ने श्रीराम लक्ष्मण जी को रात्रि रहते ही उठाया तथा कुछ सामान्य क्रियाओं के बाद वे आश्रम को चल पड़े थे। इस क्षेत्र में एक कहावत है: -भोर भरोली भए उजियारा, बक्सर जाय ताड़का मारा अर्थात श्रीराम को जहाँ भोर हुई वहाँ भरोली गाँव है तथा जहाँ प्रकाश हुआ वहाँ …
सुबाहु डीह त्रेता युग से संबंधित महत्वपूर्ण धरोहर है । उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में चिटबड़ा गाँव के पास जंगल में एक प्राचीन टीला है। इसे सुबाहू का घर माना जाता है। सुजायत सुबाहू से बना है। टीले के पास खुदाई में ताड़ का रस निकालने के पात्र, चिमटा, भट्ठी तथा कौड़ियाँ आदि मिली …
कारोधाम में अवस्थित कामेश्वर मंदिर अत्यंत प्राचीन तीर्थ है । अयोध्या से अपने आश्रम की ओर बढ़ते हुए मुनि विश्वामित्र जी ने श्रीराम को बताया था कि भगवान शिव ने कामदेव को यहां भस्म किया था। आज भी यहां शिव मंदिर तथा तालाब है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव ने तपस्या की थी। …
श्री राम की यात्रा में नदी तट पर अवस्थित तीर्थ बड़ी संख्या में हैं । ऐसा इसलिये कि प्राचीन काल में अधिकांश यात्रायें नदी तट के निकट से होकर ही आगे बढ़ती थीं । नदियों के किनारे किनारे चलने से स्थान की पहचान याद रखना आसान था तथा यात्रा क्रम में जल की प्रचुरता बनी …
श्री राम यात्रा पथ खोज में निश्चित रूप से अधिक स्थानों के नाम राम जी अथवा सीताजी से संबंधित मिलते हैं । पर यथास्थान भैया लखन लाल की स्मृति से संबंधित तीर्थ भी प्राप्त हुए हैं । सिदागर घाट से आगे बढ़ने पर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में लखनेश्वर डीह तीर्थ इसका प्रमाण है …