वाल्मीकि रामायण के अनुसार जनकपुर पहुंच कर मुनि विश्वामित्र, रामजी और भैया लखनलाल ने जनकजी के उपवन में डेरा डाला था। जिस स्थान पर वे रुके वहाँ आज भी विश्वामित्र मुनि का आश्रम है। विश्वामित्र का ही अपभ्रंश बिसोल है। वा.रा. 1/50/4 से 25 मानस 1/213/2, 3, 4, 1/214 दोहा से 1/216/4 विश्वामित्र आश्रम से …
बिहार के दरभंगा जिले में अहियारी में अवस्थित गौतम आश्रम अहल्या आश्रम के रूप में भी प्रसिद्ध है । कुछ लोग गौतम आश्रम तो कुछ लोग इसे अहिल्या आश्रम के रूप में पुकारते हैं । वाल्मीकि रामायण के अनुसार गौतम मुनि का आश्रम मिथिला के एक उपवन में था जहाँ अहिल्या शिला रूप में थी। …
रामायण वर्णन के अनुसार तीनों ने गंगा पार कर एक रात्रि विशाला नगरी में विश्राम किया था। रामजी को विश्वामित्र मुनि ने विशाला नगरी के बारे में विस्तार से बताया । वहां के तत्कालीन राजा सुमति मुनि के दर्शन के लिये यहां आये और दशरथ नंदन से मिलकर बड़े प्रसन्न हुए थे । समकाल में …
लोक मान्यता के अनुसार श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा विश्वामित्र जी ने त्रिगना घाट से महानद सोनभद्र को पार किया था। यहां प्राचीन मूर्तियां खुदाई में मिली हैं। यह स्थान कोइलवर पुल से लगभग 8 कि.मी. दूर पड़ता है। वा.रा. 1/35/1 से 5
परेव पड़ाव का अपभ्रंश है। माना जाता है कि श्री राम लक्ष्मण जी तथा विश्वामित्र जी ने यहां पड़ाव डाला था। यह स्थान कोइलवर पुल के पास है। निकट ही मोहनेश्वर महादेव का मंदिर है। कुछ लोगों का विचार है कि उन्होंने सोनभद्र नदी त्रिगना घाट से पार की थी। दोनों में लगभग 5 कि.मी. …